Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 41 ( Turning Point )

"बोल वाह..."जबरन मेरी तारीफ करने के लिए मैने वरुण को मजबूर किया..

"वाह.. वाह... क्या बात है.. अदभुत, अद्वितीय, अलौकिक, अपरामपार.... खैर, अब स्टोरी आगे बढ़ा और बता फिर क्या हुआ..."

"फिर...."
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फिर क्या था, गौतम कॉलेज लौट आया , मेरे ख़याल से उसकी ट्रेन को लेट हो जाना चाहिए था या फिर उसे कोई ज़रूरी काम पड़ जाना चाहिए था ,जिसकी वजह से वो कुछ और हफ्ते तक कॉलेज ना आ पाए. लेकिन ऐसा नही हुआ...वो टाइम पर ही कॉलेज आया और ऐश के साथ आया..... इलेक्शन  के लिए दोनो तरफ की पार्टियो मे तैयारिया चल रही थी, वरुण का हॉस्पिटल मे होना, उसकी पार्टी के लिए अच्छा साबित हुआ...

क्यूंकी फाइनल ईयर  के सभी स्टूडेंट्स सिदार की इस हरकत से उसके खिलाफ  हो गये थे की उसने कल के आए फर्स्ट ईयर के लौंडे से कली के सबसे सीनियर लौंडे को पेलवा दिया था और सुनने मे तो ये भी आया था कि सिटी वाले कुछ सीनियर्स  इलेक्शन के बाद सिदार को मारने के जुगाड़ मे थे... Afterall, रिएक्शन तो होना ही था... अभी तक तो सिर्फ हमारी तरफ से action हुआ था.. उनका reaction अभी बाकी था....😈

मैं कॉलेज जाना चाहता था और कॉलेज जाकर फिर से ऐश से लड़ना चाहता था, लेकिन इलेक्शन  की वजह से मैं ,मेरा खास दोस्त अरुण , सिदार और सिदार के कुछ खास दोस्त एक रूम मे पिछले दो घंटे से बंद थे और अपना-अपना दिमाग़ लगा रहे थे कि कैसे , कब ,कौन सी चाल चली जाए...तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे एक फाडू आइडिया ने दस्तक दी...

"फाइनल ईयर  और सेकेंड ईयर  मे हमारे कितने कैंडिडेट  है...?"मैने पूछा... क्यूंकि हारने के चान्सेस यही से ज्यादा लग रहे थे

"एक-एक..."सिदार ने जवाब दिया

"दो-दो कर दो...."

"पागल है क्या..."सिदार मेरी तरफ देखकर बोला"एक को तो वैसे भी वोट नही मिलने वाला... ऊपर से दो दो कॅंडिडेट खड़े करके हम अपना ही वोट और काट दे...?.."

"एक बात बताओ...."मैने अरुण के मुँह  से सिगरेट छीन ली और सिदार की तरफ देखकर कहा"आप प्रजा-तन्त्र मे विश्वास रखते हो या राज-तन्त्र मे...."

"मैं अंग्रेज़ो के शासन मे यकीन रखता हूँ , अब बोल..."

"तो फिर अंग्रेज़ो का ही नियम और दिमाग़ लगाइये, MTL भाई ....फूट डालो और शासन करो...."

"अबे तू कहना क्या चाहता है..."अबकी सिदार ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और बोला"एक्सप्लेन कर तो ..."

"सेकेंड ईयर  और फाइनल ईयर  मे से ऐसे दो बन्दो को पकडो, जो वरुण की टीम मे हो और उन्हे हमारी तरफ से खड़ा करो..."

"उससे क्या होगा..."

"उससे ये होगा कि वोट उनके बटेंगे... ना की हमारे..., जैसे कि यदि सेकेंड ईयर  मे गौतम खड़ा है, तो उसी के किसी दोस्त को हमारी पार्टी से खड़ा करो, इससे गौतम के दोस्त दो ग्रूप मे बट जायेगा  और उनके वोट्स भी.. यानी की जहा उसको 100 वोट्स पहले मिलने वाले थे, अब 50-60.. और हमारे मैन candidate को बस ये हाफ वाला आकड़ा क्रॉस करना है... दूसरे candidate से कोई लेना देना नही अपने को... फिर जो भी candidate जीता, वो आपके पpresidency को सपोर्ट कर देगा ....... प्रॉब्लम साल्व्ड "


"ग़ज़ब , अब कहलाया तू अरुण का दोस्त..."मेरे कंधे पर हाथ रखकर अरुण ने शान से कहा और मैने भी शान से सुना.....
सिदार ने अपना सोर्स लगाया और दो ऐसे बंदे ढूँढ लिए जो सिदार के लिए काम करने को तैयार थे... वो तैयार तो इतनी जल्दी नही हुई पर सिदार ने उनको जब वरुण की तरह खूनी ग्राउंड मे घसीट -घसीट कर मारने की धमकी दी तो.. उनके पास  सिदार की बात मानने के आलावा कोई दूसरा चारा नही था... फुल प्लानिंग करने के बाद मैं और अरुण वहाँ से निकले और लंच के बाद वाली क्लास अटेंड करने के लिए कॉलेज पहुचे...

"मैम , मे आइ..."

"कम इन..."हम दोनो को देखते ही दीपिका मैम  बोली,..

"ये तो दंमो रानी की क्लास है, ये दीपिका जानेमन कहाँ से टपक पड़ी..."अंदर आकर मैं अपनी सीट पर बैठा और.....और कुछ नही किया सिर्फ़ बैठा ही रहा ,क्यूंकी दीपिका मैम  टेस्ट की कॉपी दे रही थी..
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जैसा की मैने पहले बताया CS हमारा सिर्फ प्रैक्टिकल सब्जेक्ट था, इसलिए उसके टेस्ट भी ऐसे ही क्लास मे लिया जा रहा था और दीपिका मैम तुरंत कॉपी चेक करके नंबर भी बता दे रही थी... वरना यदि theory सब्जेक्ट होता तो बकायादा एग्जाम के माफिक़ CS का भी टेस्ट होता.. जैसा की कुछ दिन पहले हुआ था.


"अरमान,.."

"यस मैम .."मैं अपनी जगह पर खड़ा हुआ..
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"तुम्हे क्या लगता है, कितने नंबर आ जाएँगे..."

पहले ही मेरे अंदर ठरक इतनी भरी हुई थी कि मैने कुछ दूसरा ही नंबर बोल दिया,...

"मेरे ख़याल से 69 होगा..."

"क्या...?"दीपिका मैम  चौक कर बोली, क्यूंकी वो तो समझ गयी थी कि मैं किस नंबर की बात कर रहा था.

बाकी पूरी क्लास इस बात को कॉमेडी मानकर हंस रही थी, सबको हंसता देख जैसे मुझे होश आया और मैने एक नज़र दीपिका मैम  पर डाली, वो मुझे आँखों ही आँखों मे गुस्से से मुझे कुछ कह रही थी ..

"ओह सॉरी मैम ..."

"कितना, नंबर आ सकता है ,तुम्हारा...."दीपिका मैम  ने मुझसे फिर पुछा और इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी तेज़ भी थी...

"अब मैं क्या बताऊ, मेरी आदत नही है कि टेस्ट या एग्जाम  के बाद मैं उस सब्जेक्ट के बारे मे सोचु...आप ही बता दो..."

"18 out of 20. Very good...."क्या "अबकी बार मैं चौका क्यूंकी 5 मार्क्स का एक क्वेस्चन तो मैं छोड़ ही दिया था... फिर 18 नंबर....? कैसे....? अच्छा.. ऐसे... अब समझा 😋

"कॉपी देखना है..."मैने कहा

"बिल्कुल..."मैं दीपिका मैम  के पास गया और कॉपी लेकर अपनी जगह पर लौटा...  मेरा अंदाज़ा सही था उसने मुझे एक्सट्रा मार्क्स दिए थे..

"साले, तूने तो बोला थाकि 5 नंबर. का एक क्वेस्चन तूने छोड़ दिया है ,फिर तेरे 18 कैसे आए..."मेरे हाथ से कॉपी लेते हुए अरुण ने कहा....

"गयी भैंस पानी मे, कहीं साला हल्ला ना कर दे क्लास मे..."

लेकिन तभी हवस की प्यासी दीपिका मैम  हमारे पास आई और अरुण के हाथ से तुरंत  मेरी और डेस्क  पर रक्खी उसकी कॉपी उठाकर बोली"खुद मेहनत करो, दूसरो की कॉपी मे ताक-झाक करना अच्छी बात नही..."

अरुण अपना छोटा सा मुँह  लेकर रह गया और साइलेंट मोड मे दीपिका मैम  को कुछ बोला... यदि मैं सही था तो उसके अनुसार अरुण ने दीपिका मैम  को माँ की गली दी थी.  दीपिका मैम  जब तक क्लास मे रही तब तक मेरा सब कुछ वाइब्रट करता रहा, क्लास के बीच मे वो कभी-कभी मुझे देखकर मुस्कुराती और कई बार ये तक बोल देती कि"अरमान इतना मुस्कुरा क्यूँ रहे हो....."


और जवाब मे मैं फिर से मुस्कुरा देता और इसी के साथ सारी क्लास हंस देती....वो पल बहुत खुशनुमा था जो मैं आज भी बहुत मिस करता हूँ, उस क्लास की रंगत मुझे भाने लगी थी...  उस क्लास मे बैठे लोग मुझे अच्छे लगने लगे थे, उनकी बाते और फिर रिसेस मे दोस्तो के साथ फालतू की दुनियाभर की बकवास... सब कुछ मुझे एक नयी ज़िंदगी मे ले जा रहा था और वो मेरी ज़िंदगी का शायद पहला ऐसा मौका था जब मैं दिल से जी रहा था. जब मैं अपने मन की कर रहा था.

आस-पास कोई रोकने टोकने वाला नही था,उस वक़्त यदि कोई मुझसे दो ख्वाहिश माँगने के लिए कहता तो मैं उसे यही कहता कि ऐश से मेरा स्ट्रॉंग बॉन्ड बन जाए और ये कॉलेज लाइफ का वक़्त हमेशा चलता रहे, मेरा खास दोस्त अरुण हमेशा मेरे साथ रहे, लेकिन वक़्त ऐसे किसी के लिए नही रुकता, मेरे लिए भी नही रुका.....


जिस दिन दीपिका मैम  ने मुझे एक्सट्रा मार्क्स दिए थे, उसके दूसरे दिन भी मैने कॉलेज के शुरूआती पीरियड्स अटेंड नही किए, रीज़न इलेक्शन  ही था, जब मैं कॉलेज नही गया तो फिर मेरा खास दोस्त अरुण कैसे कॉलेज जाता. वो भी मेरे साथ इधर-उधर घूमता और मुझे गालियाँ बकता कि मैं ये किस झमेले मे पड़ गया हूँ और  जब वो ज़्यादा ही भड़क जाता तो मै  एक सिगरेट निकालकर उसके मुँह  मे ठूंस देता... लेकिन इलेक्शन नही छोड़ सकता था. क्यूंकि MTL भाई को ये इलेक्शन जीतना था और उन्होंने मेरी उस वक़्त मदद की थी जब कॉलेज जा हर एक सीनियर मेरी लेने मे तुला हुआ था... इसलिए यदि कल को वो मुझे मारने का प्लान बनाये तो उस प्लान मे भी मै उनका सहयोग करूँगा... अहसान का बदला तो अहसान से ही चुकाया जा सकता और एक बात... श्री अरमान दरूहा हो सकता है... लेकिन धोकेबाज नही...

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3 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:37 PM

👍👍

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:40 PM

बहुत खूबसूरत भाग

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Aliya khan

01-Sep-2021 12:01 PM

बहुत ही सुंदर कहानी

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